इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 14 अगस्त 2023। विदेश में जा छुपने वाले भगोड़े विजय माल्या और नीरव मोदी की मुश्किलें अब बढ़ सकती हैं। ब्रिटेन में छुपे भगोड़ों के प्रत्यर्पण को लेकर भारत द्वारा यूके के समक्ष चिंता जाहिर किए जाने के बाद ब्रिटेन ने बड़ी बात कही है। ब्रिटेन के सुरक्षा मंत्री टॉम टुगेंडहट ने अरबपति भगौड़ों विजय माल्या और नीरव मोदी के प्रत्यर्पण के लिए भारत द्वारा लगातार दबाव बनाए जाने के बीच कहा कि ऐसी जगह बनने का उनके देश का कोई इरादा नहीं है, जहां न्याय के दायरे में आने से बचने की कोशिश कर रहे लोग छिप सकें।
कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए
टुगेंडहट ने किसी विशेष मामले का जिक्र किए बिना कहा कि प्रत्यर्पण संबंधी मामलों में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। उन्होंने पीटीआई भाषा से बातचीत के दौरान कहा, “हम दोनों (ब्रिटेन और भारत) की कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिनका पालन करना आवश्यक है।” टुगेंडहट ने ब्रिटेन में रह रहे माल्या और नीरव मोदी समेत कई आर्थिक अपराधियों के प्रत्यर्पण की भारत की मांग से जुड़े एक सवाल के जवाब में यह टिप्पणी की। टुगेंडहट कोलकाता में हुई ‘जी-20 भ्रष्टाचार-विरोधी मंत्रिस्तरीय बैठक’ में भाग लेने के लिए 10-12 अगस्त तक 3- ह दिवसीय यात्रा पर भारत में थे।
मोदी और माल्या हैं फरार
गौर हो कि नीरव मोदी भारत में पंजाब नेशनल बैंक से 14 हजार करोड़ रुपए से अधिक के लोन की धोखाधड़ी और मनी-लॉन्ड्रिंग के मामले का आरोपी है और उसे भगोड़ा साबित किया गया है। फिलहाल वो ब्रिटेन में है। पिछले साल ब्रिटेन हाई कोर्ट ने नीरव मोदी की अपील को खारिज करते हुए भारत प्रत्यर्पण पर मुहर लगा दी थी। वहीं, मार्च 2016 में ब्रिटेन भाग गया माल्या 9,000 करोड़ रुपएकी धोखाधड़ी के मामले में फरार है।
अजीत डोभाल से भी हुई बात
उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी दिल्ली में बातचीत की। ब्रितानी सुरक्षा मंत्री ने डोभाल के साथ हुई उनकी बातचीत के बारे में पूछे जाने पर इसका विवरण सांझा करने से इन्कार कर दिया, लेकिन उन्होंने कहा कि व्यापक द्विपक्षीय सहयोग दोनों देशों की सुरक्षा और नागरिकों की समृद्धि पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, ‘हम अपने दोनों देशों की सुरक्षा और हमारे नागरिकों की समृद्धि, देश-विदेश में अपना व्यवसाय करने की उनकी क्षमता के बारे में बात कर रहे हैं। ” टुगेंडहट ने कहा, “लेकिन हम हमारे सामने मौजूद चुनौतियों की भी बात कर रहे हैं और हमने अलग- अलग तरीकों से यह स्पष्ट किया है। कि चीन की चुनौती हम दोनों देशों के सामने है। हमने आपकी उत्तरी सीमा पर घटनाएं देखी हैं। हमने प्रौद्योगिकी में हुए बदलावों और इससे निपटने के तरीकों पर भी बात की। हमने उन क्षेत्रों पर गौर किया, जिनमें अधिक सहयोग की आवश्यकता है। ”