‘आतंकवाद से निपटने की प्रतिबद्धता में दोहरे दृष्टिकोण की गंध’, चीन पर भारत का हमला

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नई दिल्ली 12 मार्च 2024। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सबूत-आधारित आतंकवादी सूची को रोकने के लिए अपनी वीटो शक्तियों का उपयोग करने वाले देशों की कड़ी निंदा की है। कहा कि यह अभ्यास अनावश्यक है और आतंकवाद की चुनौती से निपटने में परिषद की प्रतिबद्धता के प्रति दोहरे दृष्टिकोण की गंध आती है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक सत्र में भाग लिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर स्वीकृत आतंकवादियों के लिए वास्तविक साक्ष्य-आधारित सूची प्रस्तावों को बिना किसी उचित औचित्य के रोकना अनावश्यक है और जब आतंकवाद की चुनौती से निपटने में परिषद की प्रतिबद्धता की बात आती है तो दोहरेपन की बू आती है।

साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी नामित करने के लिए प्रस्ताव 
उन्होंने कहा कि पिछले साल, भारत और अमेरिका द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति को पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी साजिद मीर को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था, जिसपर चीन ने तकनीकी रोक लगा दी थी। किसी प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए सभी सदस्य देशों की सहमति की आवश्यकता होती है। बता दें, साजिद मीर 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों में शामिल होने के लिए वांछित है, जिसमें 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हो गए थे।

सहायक निकायों के अध्यक्षों का चयन खुली प्रक्रिया के माध्यम से हो
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि कंबोज ने तर्क दिया कि सहायक निकायों के अध्यक्षों का चयन और निर्णय लेने की शक्ति एक खुली प्रक्रिया के माध्यम से की जानी चाहिए, जो पारदर्शी होती है। उन्होंने कहा, ‘सहायक निकायों के अध्यक्षों का चयन और पेन होल्डरशिप का बंटवारा एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना चाहिए जो खुली हो, जो पारदर्शी हो और जो परामर्श पर आधारित हो।’

सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता
इससे पहले कंबोज ने बैठक में मौजूदा व्यवस्था को चेतावनी देते हुए कहा था कि अब सुरक्षा परिषद में सुधार की आवश्यकता है। दुनिया और हमारी आने वाली पीढ़ियां अब और इंतजार नहीं कर सकती हैं। उन्हें और कितना इंतजार करना होगा। कंबोज ने युवा पीढ़ी की आवाज पर ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित किया था। उन्होंने आग्रह किया था कि अफ्रीका में जारी अन्याय को संबोधित करना आवश्यक है। इसलिए परिषद में सुधार की आवश्यकता है।

वीटो पर भी रखा पक्ष
वीटो शक्ति पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि सुधार प्रक्रिया में वीटो बाधा नहीं बन सकती।  परिषद में जब तक नए स्थाई सदस्यों को जगह नहीं मिल जाती तब तक वीटो का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। नए स्थायी सदस्यों के पास भी वर्तमान स्थायी सदस्यों के समान ही जिम्मेदारियां और दायित्व हों। हमारा मानना है कि सुधार प्रक्रिया के मुद्दे पर वीटो करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। जी4 देशों ने भी भारत के पक्ष का समर्थन किया। बता दे, जी4 में भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान शामिल हैं। 

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