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नई दिल्ली 29 नवंबर 2024। अडानी मामले, मणिपुर की स्थिति और संभल हिंसा पर चर्चा की विपक्ष की मांग के बीच संसद में हो रहे व्यवधान पर राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बयान सामने आया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि संसद में व्यवधान एक तरीका नहीं बल्कि एक बीमारी है। उन्होंने सदस्यों से “पारंपरिक विचारशील चर्चा” में शामिल होने और सार्थक संवाद की भावना अपनाने का आग्रह किया।
संसदीय व्यवधान उपाय नहीं बीमारी- धनखड़
धनखड़ ने कहा संसदीय व्यवधान एक उपाय नहीं, बल्कि बीमारी है। यह हमारी नींव को कमजोर करता है और संसद को अप्रासंगिक बना सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी चाहिए। अगर संसद अपने कर्तव्यों से भटकती है, तो लोकतंत्र को आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। इसके साथ ही उन्होंने सांसदों से अपील करते हुए कहा कि 26 नवंबर को 75वें राष्ट्रीय संविधान दिवस पर संसद के पास 1.4 अरब लोगों को आशा का संदेश भेजने का अवसर था, लेकिन इस ऐतिहासिक अवसर को हम खो चुके हैं।
‘नियमों का उल्लघन सदन को अपवित्र करने जैसा’
धनखड़ ने कहा अगर हम अपने मन मुताबिक या किसी भी तरीके से काम करने लगते हैं, तो यह न सिर्फ लोकतांत्रिक नहीं होगा, बल्कि इस पवित्र स्थल के अस्तित्व के लिए बड़ी चुनौती बन जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे कोई शक नहीं है कि नियमों से कोई भी हटकर चलना इस मंदिर को अपवित्र करने जैसा होगा।” (एएनआई)
संसद उत्पादक चर्चा के लिए एक मंच-धनखड़
धनखड़ ने कहा कि संसद उत्पादक चर्चा के लिए एक मंच है और वह सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए समय देंगे। उन्होंने कहा मैं इस सदन को अप्रासंगिक नहीं होने दूंगा। हमें उन लोगों का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने हमें यह संविधान दिया। बता दें कि पिछले तीन दिनों से संसद में कोई सार्थक कामकाज नहीं हो पाया है और धनखड़ ने पहले कहा था कि संसद में नियमों का पालन करना सभी का कर्तव्य है। क्योंकि इसका उल्लंघन लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र करने जैसा है।