दिसंबर से गैर-कश्मीरियों पर बड़े हमले की फिराक में थे पाकिस्तानी दहशतगर्द; हाथ लगी सीक्रेट जानकारी

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

जम्मू-कश्मीर 30 अप्रैल 2025। खुफिया एजेंसियों की जांच के दौरान पहलगाम हमले में दो पाकिस्तानी आतंकियों हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई के शामिल होने की जानकारी सामने आई है। इनमें से हाशिम मूसा पाकिस्तानी फौज की स्पेशल फोर्स का पैरा कमांडो रहा है और अब प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-ताइबा का सदस्य है। वह पिछले साल अक्तूबर में गंदरबल और बारामूला हमले में भी शामिल था। खुफिया एजेंसियों को पता चला है कि वह दिसंबर से कश्मीर में गैर-कश्मीरियों पर किसी बड़े हमले की फिराक में था। हमलावरों में शामिल हाशिम मूसा का कनेक्शन सीधे तौर पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों से रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप (एसएसजी) ने पैरा-कमांडो रहे मूसा को भारत पर हमले में मदद करने के इरादे से ही लश्कर में शामिल कराया था। हाशिम मूसा अक्तूबर 2024 में गांदरबल के गगनगिर और बारामूला के बूटा पथरी में हुए आतंकी हमलों में भी हाशिम मूसा शामिल रहा है।  गगनगिर में छह गैर-स्थानीय लोग और एक डॉक्टर दहशतगर्दों का निशाना बने थे और बूटा पथरी में दो भारतीय सैन्यकर्मी बलिदान हो गए और दो पोर्टर को भी अपनी जान गंवानी पड़ी थी। इन घटनाओं में पाकिस्तान में प्रशिक्षित दो स्थानीय आतंकियों जुनैद अहमद और अरबाज मीर का नाम सामने आया था जिन्हें नवंबर और दिसंबर 2024 में सुरक्षा बलों ने अलग-अलग मुठभेड़ों में मार गिराया था। इसके बाद से ही मूसा कश्मीर घाटी में बड़े हमले की तैयारी में जुट गया था।

संदिग्ध ओडब्ल्यूजी से पूछताछ में सामने आया नाम 
मूसा के पाकिस्तानी सेना से जुड़े होने की जानकारी पहलगाम हमले के बाद हिरासत में लिए गए संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) यानी आतंकियों के स्थानीय सहयोगियों से पूछताछ के दौरान सामने आई है। इस तथ्य ने एक बार फिर पाकिस्तान का नापाक चेहरा उजागर कर दिया है। इन्हीं कश्मीरी ओवरग्राउंड वर्कर्स ने उन आतंकियों की रसद की व्यवस्था करके और टोही में मदद की थी। पहलगाम आतंकी हमले में आईएसआई की भूमिका के साथ-साथ कश्मीर में पहले हुए कई हमलों में भी मूसा की भूमिका रही है। कश्मीर में अक्टूबर 2024 में गांदरबल के गागनगीर में हुए हमले में शामिल था। इसमें छह गैर-स्थानीय लोग और एक डॉक्टर मारे गए थे। इसके अलावा, बारामूला के बुटा पथरी में हुए हमले में दो सेना के जवान और दो सेना के पोर्टर मारे गए थे। इस हमले में मूसा की भूमिका रही है। 

आईएसआई की करतूत मान रहीं सुरक्षा एजेंसियां
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मूसा का सैन्य अतीत पहलगाम हमले में पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई की संलिप्तता का स्पष्ट सबूत है। यह पहला मौका नहीं जब किसी पाकिस्तानी एसएसजी कमांडो की इस तरह की घटना में संलिप्तता सामने आई है। एसएसजी पैरा-कमांडो को गैर-परंपरागत युद्ध का कड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्हें ऐसे हमलों के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार किया जाता है और ये अत्याधुनिक हथियार चलाने में भी सक्षम होते हैं।

इन हमलों शामिल रह चुका है मूसा
मूसा तीनों हमलों में एक आम अपराधी के रूप में उभरा है। पाकिस्तान में प्रशिक्षित दो अन्य स्थानीय आतंकवादी जुनैद अहमद भट और अरबाज मीर भी गगनगीर और बूटा पथरी हमलों में शामिल थे, लेकिन नवंबर और दिसंबर 2024 में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में उन्हें मार गिराया गया था। इन दोनों आतंकियों को मारे जाने से बाद से मूसा कश्मीर में बाहरी लोगों को निशाना बनाने के आतंकी मिशन को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है।

भारतीय सेना पर साइबर हमले की पाकिस्तानी कोशिश नाकाम
पहलगाम हमले के बाद नियंत्रण रेखा पर लगातार गोलीबारी कर रहा पाकिस्तान साइबर स्पेस में भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन की नाकाम कोशिशों में जुटा है। इंटरनेट ऑफ खिलाफत यानी आईओके के नाम से काम कर रही पाकिस्तान की साइबर आर्मी ने भारतीय सेना पर साइबर हमले की कोशिश की लेकिन वास्तविक समय में सेंधमारी का पता लगाकर इसे नाकाम कर दिया गया। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, आईओके हैकर ने कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइट के पेजों को अपना निशाना बनाकर ऑनलाइन सेवाएं बाधित करने और व्यक्तिगत जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के कारण न केवल इस सेंधमारी को नाकाम कर दिया गया लेकिन वास्तविक समय में इनके स्रोत का भी पता लगा लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, महत्वपूर्ण राष्ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाने की चार कोशिशें की गईं।

सूत्रों का कहना है कि हमले का लक्ष्य आर्मी पब्लिक स्कूल (एपीएस) श्रीनगर और एपीएस रानीखेत की वेबसाइटों को भड़काऊ सामग्री से भर देना था। इसी तरह सेना कल्याण आवास संगठन (एडब्ल्यूएचओ) डाटाबेस में सेंध लगाने की कोशिश हुई और भारतीय वायु सेना के प्लेसमेंट संगठन पोर्टल में भी सेंधमारी की कोशिश हुई। लेकिन किसी भी स्तर पर वर्गीकृत नेटवर्क प्रभावित नहीं हुआ। राष्ट्रीय नेटवर्क को अभेद्य पाकर कुछ स्कूलों की साइट को निशाना बनाने की कोशिश की गई।  

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