
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 28 जुलाई 2023। अंतरिक्ष कार्यक्रमों व उपग्रह प्रक्षेपणों के लिए निजी कंपनियों से रॉकेट बनवाने के भारत सरकार के प्रयास रंग ला रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) बनाने में 20 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इस रॉकेट को बनवाने के लिए सरकार ने दो हफ्ते पहले ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को आमंत्रित किया था। एसएसएलवी से इसी वर्ष फरवरी में पहला सफल उपग्रह प्रक्षेपण किया गया था। यह किफायती रॉकेट करीब 500 किलो वजनी उपग्रह पृथ्वी की निचली परिक्रमा कक्षा (लियो) में पहुंचाने की क्षमता रखता है। बीते कुछ वर्षों में छोटे उपग्रह को अंतरिक्ष में पहुंचाने का बाजार तेजी से बढ़ा है। अमेरिकी उद्यमी एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स से संचार व डाटा के लिए एक साथ कई उपग्रह (क्लस्टर) अंतरिक्ष में पहुंचाने के साथ इन सेवाओं की मांग बढ़ी है।
निजी क्षेत्र से निवेश बढ़ाने में जुटे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नासा की तरह प्रक्षेपण व अन्य संबंधित कार्यों में निजी क्षेत्र से निवेश को बढ़ावा देने में जुटे हैं। इसके लिए नियामक निकाय भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन व प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) बनाया गया है। एसएसएलवी के लिए कंपनियों को दिया जा रहा काम, निजीकरण का पहला कदम माना जा रहा है। इन-स्पेस के अध्यक्ष पवन गोयनका ने बताया कि दो हफ्ते में 20 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। उन्होंने कंपनियों के नाम नहीं बताए। आवेदन के लिए कंपनियों के पास पांच वर्ष का विनिर्माण अनुभव और सालाना 400 करोड़ रुपये मूल्य का टर्नओवर होना अनिवार्य है।
10 साल में पांच गुना बढ़ने का लक्ष्य
अनुमान है कि अगले एक दशक में वैश्विक स्तर पर उपग्रह प्रक्षेपण का बाजार करीब पांच गुना बढ़ जाएगा। इसमें अपना हिस्सा बढ़ाना भारत का लक्ष्य है। गोयनका ने पूर्व में बताया था कि एसएसएलवी विनिर्माण से जुड़ने वाली कंपनी भारत में छोटे उपग्रह प्रक्षेपण का बाजार बनाने में मददगार साबित होगी।