चंडीगढ़. कई दिनों से भारत-पाक के बीच करतारपुर कॉरिडोर का मामला अटका हुआ था, लेकिन आज इस मामले पर दोनों देशों की मुहर लग गई है. भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के अधिकारी जीरो प्वाइंट पर मीटिंग के लिए पहुंचे और समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इस कॉरिडोर का उद्घाटन पीएम मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान 9 नवंबर को करेंगे.
वैसे तो इस समझौते की घोषणा बुधवार को की जानी थी लेकिन दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण आज इस पर हस्ताक्षर किए गए, लेकिन भारत अभी भी श्रद्धालुओं से 20 डॉलर लेने के मसौदे पर असहमत है.
यह कॉरिडोर पाकिस्तान के करतारपुर स्थित दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक साहिब से जोड़ेगा. इसके रास्ते भारतीय सिख तीर्थयात्री बिना वीजा के करतारपुर जा सकेंगे. गलियारे के माध्यम से पाकिस्तान रोज 5 हजार सिख श्रद्धालुओं को देश में स्थित करतारपुर साहिब गुरूद्वारा आने की अनुमति देगा. उन्हें इसके लिए सिर्फ परमिट या इजाजत लेनी होगी. करतारपुर स्थित दरबार साहिब की स्थापना 1522 में सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव ने की थी.
करतारपुर कॉरिडोर 1947 में भारत की आजादी के बाद से दोनों पड़ोसी देशों के बीच पहला वीजा मुक्त गलियारा भी होगा. उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पिछले साल 26 नवंबर को डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब गलियारे (अंतरराष्ट्रीय सीमा तक) की पंजाब के गुरदासपुर जिले के मान गांव में नींव रखी थी. इसके दो दिन बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने लाहौर से 125 किलोमीटर दूर नारोवाल में इस गलियारे की नींव रखी थी.
गुरु नानक ने अपनी जिंदगी के अंतिम 17 वर्ष 5 महीने 9 दिन यहीं गुजारे थे. उनका सारा परिवार यहीं आकर बस गया था. उनके माता-पिता और उनकी मृत्यु भी यहीं पर हुई थी. इस लिहाज से यह पवित्र स्थल सिखों के धर्म से जुड़ा स्थान है.