मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 68वीं बार मन की बात की, लोकल के लिए वोकल पर जोर दिया

कोरोना के दाैर में लोगों के संयम को सराहा, कहा- घर में रहकर ही मनाएं उत्सव

इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 30 अगस्त 2020। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 68वीं बार मन की बात कार्यक्रम में लोगों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत में टॉय इंडस्ट्री को बड़ी भूमिका निभानी है। असहयोग आंदोलन के समय गांधीजी ने कहा था कि यह भारतीयों में आत्मविश्वास जगाने का आंदोलन है। ऐसा ही हमें आत्मनिर्भर भारत आंदोलन के साथ भी है। यह बहुत आवश्यक है कि हमारी आज की पीढ़ी, हमारे विद्यार्थी, आज़ादी की जंग हमारे देश के नायकों से परिचित रहे, उसे उतना ही महसूस करे। अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा।

  •  कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है।
  •  कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी विदाई दे रही थी | रॉकी ने 300 से ज्यादा केसों को सुलझाने में पुलिस की मदद की थी ।
  •  हमारी सेनाओं में, हमारे सुरक्षाबलों के पास, ऐसे, कितने ही बहादुर श्वान है Dogs हैं जो देश के लिये जीते हैं और देश के लिये अपना बलिदान भी देते हैं। कितने ही बम धमाकों को, कितनी ही आंतकी साजिशों को रोकने में ऐसे Dogs ने बहुत अहम् भूमिका निभाई है। कुछ समय पहले मुझे देश की सुरक्षा में dogs की भूमिका के बारे में बहुत विस्तार से जानने को मिला। 
  • ये खबर है हमारे सुरक्षाबलों के दो जांबाज किरदारों की। एक है सोफी और दूसरी विदा। सोफी और विदा भारतीय सेना के श्वान हैं। उन्हें सीडीएस के ‘Commendation Cards’ से सम्मानित किया गया है ।
  •  अगर आपको गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल के Statue of Unity जाने का अवसर मिला होगा, और कोविड के बाद जब वो खुलेगा और आपको जाने का अवसर मिलेगा, तो, वहां एक unique प्रकार का पोषण पार्क बनाया गया है।
  • पोषण का मतलब केवल इतना ही नहीं होता कि आप क्या खा रहे हैं, कितना खा रहे हैं, कितनी बार खा रहे हैं । इसका मतलब है आपके शरीर को कितने जरुरी पोषक तत्व मिल रहे हैं।
  • पूरे देश में सितम्बर महीने को पोषण माह – Nutrition Month के रूप में मनाया जाएगा।
  • एक App है कुटुकी। ये छोटे बच्चों के लिए ऐसा interactive app है जिसमें गानों और कहानियों के जरिए बात-बात में ही बच्चे math science में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इसमें एक्टिविटी भी हैं, खेल भी हैं।
  •  आज जब हम देश को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना है। हर क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना है।
  • मैं देश के युवा टैलेंट से कहता हूं। आप, भारत में भी गेम्स बनाइये। भारत के भी गेम्स बनाइये। कहा भी जाता है- Let the games begin ! तो चलो, खेल शुरू करते हैं !
  • खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।
  • खिलौनों कe केन्द्र बहुत व्यापक है| गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हो, MSMEs हों, इसके साथ-साथ बड़े उद्योग और निजी उद्यमी भी इसके दायरे में आते हैं। इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी।
  • भारत के कुछ क्षेत्र खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। जैसे, कर्नाटक के रामनगरम में चन्नापटना, आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा में कोंडापल्ली, तमिलनाडु में तंजौर, असम में धुबरी, उत्तर प्रदेश का वाराणसी – कई ऐसे स्थान हैं।
  • खिलौने ने धन का, सम्पत्ति का, जरा बड़प्पन का प्रदर्शन कर लिया लेकिन उस बच्चे की Creative Sprit को बढ़ने और संवरने से रोक दिया। खिलौना तो आ गया, पर खेल ख़त्म हो गया और बच्चे का खिलना भी खो गया। एक तरह से बाकी बच्चों से भेद का भाव उसके मन में बैठ गया । महंगे खिलौने में बनाने के लिये भी कुछ नहीं था, सीखने के लिये भी कुछ नहीं था । यानी कि, एक आकर्षक खिलौने ने एक उत्कृष्ठ बच्चे को कहीं दबा दिया, छिपा दिया, मुरझा दिया।
  • ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी मांग सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा।
  • हमारे चिंतन का विषय था- खिलौने और विशेषकर भारतीय खिलौने। हमने इस बात पर मंथन किया कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें, भारत, खिलौने बनाना का बहुत बड़ा हब कैसे बने।
  • ‘मन की बात’ सुन रहे बच्चों के माता-पिता से क्षमा मांगता हूं, क्योंकि हो सकता है, उन्हें, अब, ये ‘मन की बात’ सुनने के बाद खिलौनों की नयी-नयी मांग सुनने का शायद एक नया काम सामने आ जाएगा।
  •  किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है। हमारे पर्व किसानों के परिश्रम से ही रंग-बिरंगे बनते हैं। अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः। अर्थात, अन्नदाता को नमन है, किसान को नमन है। हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है। मैं, इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ, उनके परिश्रम को नमन करता हूं।
  •  ओणम की धूम तो, आज, दूर-सुदूर विदेशों तक पहुंची हुई है। अमेरिका हो, यूरोप हो, या खाड़ी देश हों, ओणम का उल्लास आपको हर कहीं मिल जाएगा। ओणम एक अंतरर्राष्ट्रीय पर्व बनता जा रहा है।
  •  देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है। गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो, ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है।
  •  बहुत एक रूप में देखा जाए तो नागरिकों में दायित्व का एहसास भी है। लोग अपना ध्यान रखते हुए, दूसरों का ध्यान रखते हुए, अपने रोजमर्रा के काम भी कर रहे हैं।
  •  आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं । कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन, हम सबको मन को छू जाए, वैसा अनुशासन भी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के लिए मांगे थे सुझाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महीने की शुरुआत में अपने रेडियो कार्यक्रम के विषयों के बारे में ट्विटर पर लोगों से विचार और सुझाव मांगे थे। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर लोगों से कहा था कि वे Namo या MyGov App का उपयोग कर या 1800-11-7800 पर कॉल कर अपना संदेश रिकॉर्ड करके अपने इनपुट्स भेज सकते हैं।

पिछली मन की बात में मास्क पहनने की की थी अपील

पिछली बार के मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं आप से आग्रह करूंगा जब भी आपको मास्क के कारण परेशानी महसूस होती हो, मन करता हो उतार देना है तो पल-भर के लिए उन डॉक्टरों का का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये। आप देखिये वो मास्क पहनकर के घंटो तक लगातार, हम सबके जीवन को, बचाने के लिए जुटे रहते हैं।

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