इंडिया रिपोर्टर लाइव
भोपाल । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सिंह चौहान और केंद्र सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने रविवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने राज्य में अपनी सरकार बनाने के लिए कोविड-19 से निपटने के लिए देर से कदम उठाए।उन्होंने कहा कि भाजपा मध्यप्रदेश के लोगों को बेवकूफ बना रही है, क्योंकि इतने गंभीर संकट में भी राज्य में न कोई मंत्रिमंडल है, न ही कोई स्वास्थ्य मंत्री, ना ही गृह मंत्री है।
कमलनाथ वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मैंने 20 मार्च को इस्तीफा दे दिया, लेकिन 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद लॉकडाउन की घोषणा की गई। राहुल गांधी ने फरवरी में ही कहा था कि कोरोना वायरस महामारी बड़ी समस्या में बदल जाएगी, लेकिन तब कुछ नहीं किया गया था। विभिन्न राज्य विधानसभाओं को कोरोना के कारण स्थगित किया गया था, लेकिन हमारी सरकार चली जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए संसद चलती रही। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में हमने संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जांच के लिए कुछ निर्णय लिए थे। हमने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कदम उठाए थे। आठ मार्च को शॉपिंग मॉल, स्कूलों आदि को बंद करने का आदेश दिया था।
उन्होंने यह भी कहा कि जब विधानसभा अध्यक्ष ने घोषणा की कि वह कोविड -19 के खतरे कारण सदन स्थगित कर रहे हैं, तब भाजपा के लोगों ने उनका माजाक उड़ाया था, लेकिन देखिए बाद में पूरे देश में लॉकडाउन है।
विवेक तन्खा ने कहा राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं वकील विवेक तन्खा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ‘असंवैधानिक’ है, क्योंकि यह मंत्री-परिषद के बिना काम कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट बनाने में सक्षम नहीं हैं तो प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना चाहिए।तन्खा ने राष्ट्रपति को शनिवार को लिखे पत्र में कहा, ‘राष्ट्रपति जी, मैं मध्यप्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के साथ न्याय की अपील कर रहा हूं। मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस की वजह से स्थिति बहुत खराब है। प्रदेश संकट से गुजर रहा है। इंदौर की स्थिति बहुत चिंताजनक है। भोपाल में स्वास्थ्य विभाग के 45 से अधिक अधिकारी संक्रमित पाए गए हैं। जांच की संख्या बहुत कम है।