इंडिया रिपोर्टर लाइव
कोरबा 22 अप्रैल 2020। छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा कलेक्टर ने अपने लेख में लिखा है कि मुझे रोज कई कॉल आते हैं। कोई डॉक्टर चाहता है, किसी के घर दूध नहीं पहुंचा। कई ऐसे भी लोग हैं, जिनके अपने दूर देस में फंसे हैं तो कोई दूसरे शहर में अपने परिवार के पास जाने को तड़प रहा। मैं जानती हूं कि विपदा से आपदा बन चुकी मुश्किल घड़ी में लोग मजबूर हैं और मुझे कॉल कर मदद मांग रहे। उनकी पुकार सुनकर उनके दिल की पीड़ा कोई और महसूस नहीं कर सकता। पर एक सवाल मैं उन सब से करना चाहती हूं कि क्या जिंदगी की बड़ी से बड़ी मुश्किल या गहरा से गहरा दर्द जिंदगी से बढ़कर हो सकता है? नहीं न, तो आप घर संभालें, मुश्किलों को हम देख लेंगे।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और खासकर हमारा मुल्क सामाजिक ताने-बाने में रचा-बसा है। आप और हम मिलकर ही एक परिवार व सामाजिक बंधनों से जुड़े परिवारों से समाज बनाते हैं। पर आज सारे विश्व के लिए खतरा बन चुकी कोरोना को यही संरचना बलवती बना रही है। अगर शारीरिक दूरी के नियम पर दृढ़ता से अमल करें, तो यह वायरस आपके पास भी नहीं फटक सकता। इस जानलेवा महामारी को आप तक पहुंचने से पहले जान पर खेलकर बनाए गए जांबाजों के कई सुरक्षा घेरे तोड़ने होंगे, जो अपने परिवार से दूर अपनी जान हथेली में लिए पहली पंक्ति में सीना ताने खड़े हैं। इनमें तमाम मेडिकल स्टाफ, सफाईमित्र, पुलिस-प्रशासन लगातार एक अभेद्य दीवार की तरह डटा हुआ है। अंतिम घेरा आपके घर के वे दरवाजे व दीवारें हैं, जिसके भीतर रह के ही आप हमारी पहली पंक्ति के कोरोना वॉरियर्स के त्याग व कोशिशों को सफल बना सकेंगे। आज न केवल कोरबा व छत्तीसगढ़, बल्कि समूचा विश्व इस वैश्विक महामारी के संकट से जूझ रहा और छुटकारा पाने दिन-रात कोशिशों में जुटा हुआ है। फिलहाल इससे लड़ने एक-दूसरे से अनिवार्य दूरी का नियम ही एक मात्र उपाय है, जिसका पालन सुनिश्चित करने छत्तीसगढ़ शासन, जिला प्रशासन व पुलिस से लेकर हमारे समर्पित वालेंटियर सतत जुटे हुए हैं। स्मरण रखने वाली बात यह है कि सिर्फ एक संक्रमित रोगी दूसरों के संपर्क में आता रहा तो एक-एक कर 406 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है। ऐेसे वक्त में हम में से हर किसी को एक योद्धा की भांति सोचना होगा, योद्धा की भांति अनुशासन रखना होगा और योद्धा की भांति ही व्यवहार भी करना होगा। याद रखिये कि एक योद्धा कभी हार नहीं मानता और अपनी लड़ाई आखिर तक जारी रखता है। मौजूदा हालात जिस तरह के हैं, आप में से हर कोई एक योद्धा की भूमिका निभा रहा है। पहली पंक्ति में खड़े हमारे कोरोना वॉरियर बाहर से, तो घरों के भीतर रहकर आप भी तो आखिर अपने परिवार व पड़ोसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने अपना योगदान दे रहे। वैसे भी किसी भी आपदा से लड़ाई केवल और केवल टीम वर्क से ही जीती जा सकती है।
कोरोना वारियर्स की कोरबा की टीम का नेतृत्व करते हुए मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।
मैं कोरबा के जिम्मेदार, जागरूक व अमन पसंद नागरिकों से गुजारिश करना चाहती हूं कि अपने जीवन में बस यही अनुशासन धारण करें, जिसकी शक्ति से आप और हम मिलकर कोविड-19 को जड़ से समाप्त कर सकते हैं। किसी भी परिस्थिति में आप अपने घर का यह घेरा पार न करें। मैं यह भी बताना चाहूंगी कि मेरे नंबर पर कई ऐसे कॉल आते हैं, जिनमें लोग घर से निकलने की अनुमति मांगी जाती है। कोई कहता है, सब्जी नहीं, किसी को दवा की दरकार है, कोई दूसरे शहर में रह रहे अपने परिवार के सदस्य को घर लाना चाहता है तो कई लोग दूसरे शहर में फंसे अपनों के पास जाना चाहते हैं। यह सही है कि इस तरह की मुश्किलों से जूझ रहे लोगों के मन की कसक शायद कोई दूसरा नहीं समझ सकता। पर वो यह भी जानते हैं कि जिंदगी की कोई भी जरूरत या परेशानी जिंदगी से बड़ी है? बस अब इसे समझकर मानना और जीवन में अपनाना होगा। छत्तीसगढ़ के हॉट-स्पॉट बनकर उभरे कटघोरा के अंति संवेदनशील इलाके में भी कुछ ऐसे ही हालात बन रहे थे, जिसे आपने और हमने मिलकर संभाला है। इस लक्ष्य में आपके परिवार, घर या शायद पड़ोस में रहने वाले हमशहरी ने भी कदम बढ़ाया होगा। इनमें समर्पित कोरोना वॉरियर्स की भूमिका निभा रहे जिला प्रशासन-पुलिस के अधिकारी-कर्मचारी, चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी, सफाईमित्र, जनप्रतिनिधि, नगर निगम, नगर पालिका परिषद की टीम और वालेंटियर्स के रूप में सतत सेवा प्रदान कर रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक, स्काउट्स एंड गाइड्स, समाजसेवी और वे सभी लोग लगातार जुटे हुए हैं। केवल हाईवे के हॉट-स्पॉट में ही प्रशासन-पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के ही 600 से अधिक लोग कठिन ड्यूटी में अपने कर्तव्य का समर्पण प्रदान कर रहे हैं। कटघोरा में इन योद्धाओं की चेन ही है, जिसने कोरोना वायरस को एक सीमित दायरे से बाहर नहीं निकलने दिया है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लोगों में आशा की किरण जगा रहे वे सेवाभावी दवा, राशन, दूध, सब्जी और उनकी जरूरत का हर सामान निस्वार्थ भाव से उनके घर तक पहुंचा रहे, उनकी मेहनत का प्रतिफल तभी सार्थक साबित होगा, जब लोग घरों की दहलीज में महफूज रहें। कटघोरा के हालात काबू में हैं और संकट की इस घड़ी को जल्द से जल्द विराम तक पहुंचाने हम तो जुटे हुए हैं, अब आप सभी भी यही कोशिश करें। घबराएं नहीं और शांति से चैखट के भीतर ही रहें।
मैं कांफिडेंट हूं, कि हम-सबकी ये कोशिश जल्द अंजाम तक पहुंचेगी
हमारा जिला जल्द संकटमुक्त दिखाई देगा। यही भरोसा मैं कोरबा व कटघोरा के एक-एक घर,एक-एक परिवार और एक-एक नागरिक तक पहुंचाना चाहती हूं। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें और घर पर ही रहें। घर पर भी रखती हूं सावधानी- जिले की कलेक्टर होने के साथ मेरी पारिवारिक जिम्मेदारियां भी हैं। बुजुर्ग माता-पिता, सासू माॅ के साथ-साथ दो छोटे बच्चों के कारण घर में भी काफी सावधानी रखनी पड़ती है। घर में अलग रास्ते से आती-जाती हूं, खुद को सभी से अलग कर केवल एक कमरे में ही अपना काम करती हूं। खाने-पीने के लिए भी मैं डिस्पोजल थालियों-ग्लासों का ही इस्तेमाल कर रही हूं। जहां तक हो सके परिवार के अन्य सदस्यों से छूकर होने वाले संपर्क को एवाईड करती हूं। कोरोना के हॉट स्पॉट कटघोरा के हालात से जूझने के बाद रोजाना घर देर से पहुंचती हूं, तब तक दोनों बच्चे सो चुके होते है। मेरी तरह प्रशासन के कई अधिकारी और कर्मचारी इस मुश्किल क्षण में जनता की सेवा में लगे है। सभी लोगों का ऐसा ही हाल है। हालांकि हम सभी कोअपनेकाम पर गर्व है।