साजिद खान
कोरिया 30 सितम्बर 2020 (इंडिया रिपोर्टर लाइव)। इस कोरोना संक्रमण काल में जिले के मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र में मरीजों की बढती संख्या को देखते हुए कोरोना वायरस की रोकथाम एंव चेन तोड़ने हेतू मंगलवार दिनांक 29/09/2020 की शाम को हुए कलेक्टर का आदेश जारी होता है। आदेश में उल्लेखित रहता है कि मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र में लगने वाला बुधवार का साप्ताहिक बाजार हाट प्रतिबंधित किया जाता है तथा सभी स्थायी दुकानों को साप्ताहिक बंदी को छोडकर शेष दिवस खोलने की अनुमति रहेगी। ये आदेश रात तक सोशल मिडिया, वेब न्यूज तथा क्षेत्रिय समाचार चैनलो की ब्रेकिंग भी बना। परन्तु ऐसा क्या कारण रहा कि शहर के दूर दराज के ग्रामीण साग-सब्जी बेचने और बुधवार बाजार हाट के लिए शहर में पहुंच गए। आखिर कहां चूक हुई !
ज्ञात हो कि वर्षों से शहर में बुधवार का साप्ताहिक बाजार लगता आया है। लेकिन इस कोरोना काल मरीजों की बढती संख्या को देखते प्रशासन बहोत सतर्क है। प्रशासन का सतर्क होना भी बिल्कुल जायज है। कलेक्टर का ये आदेश देर रात तक सोशल मिडिया के कई ग्रुपों में तैरता रहा। वेब समाचारों में भी चला। क्षेत्रिय चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज बना। लेकिन ऐसा क्या कारण रहा आज बुधवार बाजार हाट के दिन शहर के आसपास के सैकडों की संख्या में ग्रामीण साग-सब्जी बेचने का सामान लेकर 15 – 20 किमी दूर-दूर गांवों से बुधवार साप्ताहिक बाजार मनेन्द्रगढ़ शहर में पहुंच गए।
ये ग्रामीण हर बुधवार को अपनी साग- सब्जी शहर में बेचते हैं और वापसी में कमाए हुए रकम से अपना रोजमर्रा का सामान लेकर जाते हैं। सवाल यह पैदा होता है कि इस आदेश का इतना प्रसारण होने के बावजूद ग्रामीणों का बुधवारी बाजार में वाहनों से शहर में पहुंच जाना कहीं न कहीं चूक को दर्शाता है। क्या शहर से 10-12 किमी दूर के ग्राम पंचायतों से हर बार साप्ताहिक बाजार में पहुंचने वाले ग्रामीणों को सूचना नही मिली कि प्रशासन द्वारा बुधवार साप्ताहिक बाजार पर प्रतिबंध लगाया गया है? कि सैकडों की संख्या में ग्रामीण साग- सब्जी लेकर बुधवार बाजार के दिन पहुंच गए ।
कोडा- भौंता गांव की गठरी में सीताफल बेचने पहुंची बुजुर्ग ग्रामीण महिला ने बताया कि गांव में कोई मुनादी नही कराई गई पता रहता तो यहां क्यों आते। सवाल यह पैदा होता है कि इस डिजिटल दौर में वहाटसअप, फेसबुक सोशल मीडिया के जरिए प्रसारित सारी सूचनाएं ग्रामीणों तक पहुंच पाती हैं ? अगर यह सच है तो फिर शहर में ग्रामीणों का आना क्यों मुमकिन हुआ। जहां ये अपने भाडे पर दूर-दराज गांवों से पहुंच गए। प्रशासन द्वारा बेचे न जाने की अनुमति नही दिए जाने पश्चात न जाने ग्रामीण अपनी साग- सब्जी को बेच पाए या नही। वापसी में अपने रोजमर्रा का सामान और भाडे व्यवस्था कर पाए या नही। ये ग्रामीण ही जाने और समझें। इसी कडी में अनुविभागीय अधिकारी मनेन्द्रगढ़ द्वारा ग्रामीणों को बैठा कर ला रहे वाहनों पर चालानी कार्यवाही भी की गई।