इंडिया रिपोर्टर लाइव
बीजिंग 14 जुलाई 2021। कारनामे करने के लिए चीन पूरी दुनिया में जाना जाता है। चीन ने खुद का सूर्य बनाकर दुनिया को चौंका ही दिया था कि अब उसने अंतरिक्ष में धान पैदा कर लिया है। चीन ने अंतरिक्ष में उगाए गए धान को स्पेस राइस नाम दिया और इसकी पहली फसल भी (बीज के रूप में) कट चुकी है। चीन ने स्पेस राइस के बीज को पिछले साल नंबर में अपने चंद्रयान के साथ अंतरिक्ष में भेजा था। अंतरिक्ष यान के जरिए 40 ग्राम वजन वाले करीब 1,500 धान के बीज धरती पर आए हैं। सभी बीज को दक्षिण चीन कृषि विश्वविद्यालय परिसर के खेत में बोया गया है।
ब्रह्मांडीय विकिरण और शून्य गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में रहने के बाद इन बीज को वापस धरती पर लाया गया है। इनका वजन करीब 40 ग्राम है। स्पेस राइस की पहली फसल को ग्वांगडोंग के दक्षिण चीन कृषि विश्वविद्यालय के अंतरिक्ष प्रजनन अनुसंधान केंद्र में काटा गया है। स्पेस राइस के बीज की लंबाई अब करीब 1 सेंटीमीटर हो गई है। अनुसंधान केंद्र के उप निदेशक गुओ ताओ ने कहा है कि सबसे अच्छे बीज प्रयोगशालाओं में पैदा किए जाएंगे और फिर खेतों में लगाए जाएंगे।
क्या होता है स्पेस राइस?
अंतरिक्ष के वातावरण में कुछ समय तक रहने के बाद इन बीज में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। अंतरिक्ष से वापस लाकर धरती पर बोने से अधिक पैदावार होती है। केवल धान ही नहीं, अन्य फसलों के साथ भी इस तरह के प्रयोग होते हैं। चीन 1987 से चावल और अन्य फसलों के बीज को अंतरिक्ष में ले जा रहा है। इसकी पैदावर सामान्य धान के मुकाबले अधिक होती है, हालांकि इसका फिलहाल कोई सटीक आंकड़ा मौजूद नहीं है।
चीन अभी तक 200 से अधिक फसलों के साथ इस तरह का प्रयोग कर चुका है जिसमें कपास से लेकर टमाटर तक शामिल हैं। 2018 में चीन में 2.4 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में हुई खेती में अंतरिक्ष से आए बीज का ही इस्तेमाल हुआ है। चाइनीज सोशल मीडिया यूजर्स इसे स्वर्ग का चावल भी कह रहे हैं। करीब 3-4 साल बाद ऐसे बीज को बाजार में उपलब्ध कराया जाता है।
क्या है चीन की प्लानिंग
दरअसल चीन चंद्रमा पर एक अनुसंधान केंद्र तैयार करना चाहता है। इसके अलावा चीन अंतरिक्ष में फसल उगाने के लिए ग्रीनहाउस का इस्तेमाल करने पर भी विचार कर रहा है। चीन ने 13 शोध संस्थानों को 17 ग्राम चांद की मिट्टी दिए हैं जिनमें चीनी विज्ञान अकादमी, चीन भूविज्ञान विश्वविद्यालय और सन यात-सेन विश्वविद्यालय शामिल हैं। इसका लक्ष्य चंद्रमा के भूविज्ञान और विकास के बारे में और अधिक समझना है।