इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 05 अगस्त 2021। अनुच्छेद 370 से आजादी के दो साल के भीतर ही कश्मीर की आबोहवा बदल गई। घाटी में अलगाववाद की हवा निकल गई। पाकिस्तान के इशारे पर निकलने वाले देश विरोधी सुर अब बंद हो गए। कश्मीर में दो साल के दौरान एक भी दिन बंद या हड़ताल नहीं हुई। शिकंजा कसते ही पत्थरबाज भी गायब होने लगे हैं। सबसे बड़ा बदलाव यह आया कि अब तिरंगा कश्मीर जगह-जगह फहरा रहा है। सरकारी भवनों से लेकर सहरद तक लहराता तिरंगा पाकिस्तान समेत दुनिया को संदेश दे रहा है। राष्ट्रीय पर्व पर गांव-गांव तिरंगा फहरने के साथ राष्ट्रगान गाया जाने लगा। पहले तिरंगा उठाने से लोग घबराते थे।
पांच अगस्त 2019 के बाद हुर्रियत की ओर से कश्मीर के किसी कोने से पाक परस्ती की आवाज नहीं उठी। न कोई मजलिस हुई, न सरकार के किसी फैसले के खिलाफ आवाज उठी और न ही पाकिस्तान के झंडे लहराए गए। हवा के बदले रुख को भांप अलगाववादी खेमे सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक की ओर से भी बंद का आह्वान नहीं किया गया। जुमे की नमाज पर अमूमन जामिया मस्जिद से होने वाली पत्थरबाजी इतिहास की बात हो गई। कुछ मौकों पर अलगाववादियों की ओर से बंद के पोस्टर चस्पा किए गए, लेकिन आम कश्मीरियों ने इसे कोई तवज्जो नहीं दी। युवाओं का अब पूरा ध्यान अपने करिअर पर है।
बदलावों के बीच ही सरकार ने पाकिस्तान परस्त लोगों पर जबर्दस्त शिकंजा कसा। अलगाववादियों, आतंकवादियों से साठगांठ तथा पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करना शुरू किया। इसी कड़ी में हिजबुल मुजाहिदीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों की सरकारी सेवा समाप्त कर दी गई। हिजबुल आतंकी के साथ गिरफ्तार डीएसपी दविंदर सिंह को भी बर्खास्त कर दिया गया।
अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं पर पहली बार कार्रवाई
जम्मू-कश्मीर में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्याओं पर भी कार्रवाई की गई। जम्मू में रह रहे रोहिंग्याओं पर पहली बार कार्रवाई करते हुए लगभग 200 रोहिंग्याओं को होल्डिंग सेंटर भेज दिया गया। इसके साथ ही यहां रह रहे सभी रोहिंग्याओं का वेरिफिकेशन भी किया गया। बताते हैं कि कोरोना काल की वजह से फिलहाल कार्रवाई स्थगित की गई है। आने वाले दिनों में और भी रोहिंग्याओं को होल्डिंग सेंटर भेजा जाएगा।