‘देश में हर साल 35-40 सैन्य विमान बनाए जाने की जरूरत’, वायुसेना प्रमुख बोले- लक्ष्य हासिल करना असंभव नहीं

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इंडिया रिपोर्टर लाइव

नई दिल्ली 01 मार्च 2025। वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय वायुसेना स्वदेशी प्रणाली को प्राथमिकता देगी। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल कम से कम 35-40 सैन्य विमान बनाए जाने की जरूरत है। इस लक्ष्य को हासिल करना असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिग्रहण के मामले में भारतीय वायुसेना की पहली प्राथमिकता यही है-जो भी हो स्वदेशी हो। उन्होंने कहा, मैं इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हूं कि भले ही स्वदेशी प्रणाली थोड़ा कम प्रदर्शन वाली हो…यदि यह विश्व बाजार में मिलने वाली प्रणाली के प्रदर्शन की तुलना में 90 प्रतिशत या 85 प्रतिशत ही हो तो भी हम स्वदेशी प्रणाली को ही चुनेंगे क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे हम अपनी प्रणाली को हासिल करने के लिए हमेशा बाहर की ओर देखने से बच सकते हैं। हालांकि, इसमें समय लगेगा और इसे समर्थन की आवश्यकता होगी। इसलिए, भारतीय वायुसेना किसी भी अनुसंधान एवं विकास परियोजना के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

हम 2047 तक एयरोस्पेस शक्ति बनना चाहेंगे: वायुसेना प्रमुख
वायुसेना प्रमुख ने ‘चाणक्य डायलॉग्स कॉन्क्लेव’ को संबोधित करते हुए 2047 तक एक प्रमुख एयरोस्पेस शक्ति बनने का लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने इस लक्ष्य की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिसमें अपने कर्मियों को अंतरिक्ष के बारे में बेहतर जानकारी देना भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘हम 2047 तक एयरोस्पेस शक्ति बनना चाहेंगे… हम अपने लोगों को अंतरिक्ष के प्रति जागरूक बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं।’

भारतीय वायुसेना भारत के गगनयान मिशन में भी सक्रिय रूप से शामिल रही है, जो देश का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री, चार गगनॉट्स भारतीय वायुसेना के अधिकारी हैं। वायुसेना ने उनके चयन और प्रशिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एयर चीफ मार्शल ने कहा कि इस मानवयुक्त मिशन की सुरक्षा आवश्यकताओं को भारतीय वायुसेना के योगदान से तय किया गया। गगनयान परियोजना में तीन सदस्यों की टीम को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किलोमीटर की कक्षा में लॉन्च किया जाएगा। उन्हें समुद्री जल में सुरक्षित रूप से उतारकर वापस लाने की परिकल्पना की गई है। 

शुभांशु शुक्ला एक्स-4 मिशन के पायलट होंगे
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला एक्स-4 मिशन के लिए पायलट के रूप में काम करेंगे। एक्स-4 मिशन की कमान नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन संभालेंगी, जो एक्सिओम स्पेस की मानव अंतरिक्ष उड़ान की निदेशक हैं। दो मिशन विशेषज्ञ पोलैंड से ईएसए परियोजना अंतरिक्ष यात्री स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीवस्की और हंगरी से टिबोर कापू हैं।

2047 तक होंगे राफेल और Su-30 जैसे जेट
एयर चीफ मार्शल सिंह ने भविष्यवाणी की है कि 2047 तक वायुसेना के पास राफेल और उन्नत Su-30 जैसे आधुनिक जेट होंगे। वायुसेना जमीनी, भूमि और समुद्री बलों के साथ बेहतर सहयोग पर ध्यान देगी, ताकि संचालन के दौरान डेटा का आदान-प्रदान आसानी से हो सके। 

हमें डेटा ट्रांसफर करने में सक्षम होना चाहिए: सिंह
एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि हमें उड़ान के दौरान डेटा ट्रांसफर करने में सक्षम होना चाहिए। प्रौद्योगिकी के लिहाज से, हम उम्मीद करते हैं कि हम दुनिया भर में जो कुछ भी कर रहे हैं, उसके बराबर होंगे। जैसा कि भारत 2047 में जब अपनी स्वतंत्रता के 100वें वर्ष का जश्न मनाएगा, भारतीय वायुसेना एक बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है, जो एक अग्रणी एयरोस्पेस शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करेगी।

भविष्य में मशीनों और इन्सानों के बीच छिड़ सकती है जंग : सीडीएस
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा कि जंग लड़ने के तरीके जिस तरह नेटवर्क, डिजिटल सिस्टम और इंटेलिजेंस केंद्रित होते जा रहे हैं, उसे देखते हुए भविष्य में मशीन-मशीन और इन्सान तथा मशीनों के बीच युद्ध की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। ऐसे युद्धों के नतीजे तय करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डाटा एनालिटिक्स और सुपर कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों की अहम भूमिका होगी। जनरल चौहान ने यह बात शुक्रवार को  चाणक्य डायलॉग्स कॉन्क्लेव में कही। जनरल चौहान ने कहा, भविष्य के युद्धों में डाटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जा सकता है, ताकि बेहतर और तेज निर्णय लिए जा सकें। ड्रोन तकनीक में प्रगति के साथ युद्ध की गति भी बढ़ सकती है।  भारतीय सशस्त्र बल वास्तव में डाटा-केंद्रित युद्ध या बुद्धिमान युद्ध की ओर बढ़ना चाहते हैं।

थिएटर कमांड की अवधारणा समझाते हुए जनरल चौहान ने कहा कि यह मल्टी-डोमेन  यानी अंतरिक्ष व साइबर से समर्थन सहित सभी तीन डोमेन में ऑपरेशन में सक्षम होगी। जहां अन्य देशों ने थिएटर कमांड लागू करने में बहुत ज्यादा वक्त लिया है, वहीं भारत में यह प्रक्रिया काफी तेजी से चल रही है। 

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