रायगढ़ जिले के 70 प्रभावित गांव के लोग विगत 2अकटूर 2011 से कोयला सत्याग्रह के आंदोलन करते आ रहे
इंडिया रिपोर्टर लाइव
रायगढ़(छत्तीसगढ़) 25 जून। आत्मनिर्भर भारत के तहत देशभर में हों रहें कोयला खदानों की नीलामी से देशभर के लाखों आदिवासी परिवार विस्थापन की मार के साथ साथ उनका कृषि पशुधन और जंगल से चलने बाली आजिविका खत्म होने के साथ साथ पर्यावरण संतुलन पर विपरीत प्रभाव पडेगा।
जनचेता के संयोजक राजेश त्रिपाठी ने इंडिया रिपोर्टर लाइव से कहा कि इस प्राकृतिक संसाधनों में केवल हमारी पीढीयों का अधिकार नहीं बल्कि आगे आने बाली पीढ़ियों को भी प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत होगी जिस पर हमारी सरकार विचार नहीं कर रही है।
राजेश त्रिपाठी ने आगे कहा कि अगर देश में प्राकृतिक संसाधनों की निकलने की जरूरत है ही तों क्यों जिनके जमीन के अंदर प्रकृतिक संसाधन है उन समूहों की सरकार सोसायटी बना कर खनन की जिम्मेदारी समूह को दे जिससे समुदाय आत्मनिर्भर बन सकें और भारत भी आत्मनिर्भर बन सकें ऐसी मांग कई सालों से रायगढ़ में चल रहे कोयला सत्याग्रह के आंदोलनकरी साथी हर बर्ष 2अकटूर आंदोलन करके मांग करते आ रहे हैं शिव पाल भगत हरिहर पटेल अकक्षय पटेल सविता रथ कन्हैया पटेल गुणनिधि राठिया शिव पटेल राजेश गुप्ता राजेश त्रिपाठी कृष्णा साव पदनाभ प्रधान अशोक शर्मा लीला सिंह एवं 70 प्रभावित गांव के लोग विगत 2011से कोयला सत्याग्रह के आंदोलन करते आ रहे हैं इनका कहना है कि हम अपनी जमीन पर किसी भी प्रकार की खदान नहीं चाहते हैं अगर सरकार को कोयला चाहिए तो सरकार प्रभावित परिवारों की सोसायटी बना कर कोयला एवं अन्य खनिज निकालने का समुदाय को दे।