
15 जून को गलवान झड़प के कुछ ही दिन बाद सरकार ने 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगा दिया था
इस बार भी ऐप पर बैन लगाने का फैसला तब लिया गया, जब लद्दाख में फिर से तनाव बढ़ रहा
इंडिया रिपोर्टर लाइव
नई दिल्ली 02 सितंबर 2020। 15 जून की रात गलवान में हुई झड़प के 78 दिनों के भीतर सरकार ने तीसरी बार चीन के मोबाइल ऐप के खिलाफ सख्त एक्शन लिया है। सरकार ने पबजी समेत 118 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने धारा 69ए के तहत इन मोबाइल ऐप्स पर बैन लगाने का फैसला किया है. मंत्रालय ने कई शिकायतें मिलने के बाद बैन लगाने का यह फैसला लिया है। सरकार की तरफ से बुधवार शाम जारी बयान में कहा गया है कि ये ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा थे।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि ये मोबाइल ऐप भारत की संप्रभुता, अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा थे। मंत्रालय ने कहा कि ऐसी कई शिकायतें मिली थीं जिसमें कहा गया था कि एंड्रॉइड और आईओएस प्लेटफॉर्म पर ऐसे कई मोबाइल ऐप हैं जो यूजर्स की सूचनाएं चुराते हैं।
मंत्रालय ने कहा कि ये ऐप्स अनधिकृत तरीके से यूजर्स की सूचना और डेटा चोरी कर भारत के बाहर भेज रहे हैं। ये ऐप यूजर्स के डेटा को चोरी कर रहे हैं और उसे भारत से बाहर स्थित अपने सर्वर तक गैर कानूनी तरीके से पहुंचा रहे हैं. इन डेटा की चोरी भारत की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा है. सरकार ने कहा कि डेटा की चोरी चिंता का विषय है और इसके लिए आपातकालीन कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
बता दें कि भारत सरकार ने इससे पहले टिकटॉक सहित चीन के कई ऐप पर प्रतिबंध लगाए थे. जून के अंतिम में भारत ने टिकटॉक, हेलो समेत चीन के 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाए थे. इसके बाद में जुलाई के आखिर में 47 और चीनी ऐप पर पाबंदी लगाई गई थी।
इस बार केंद्र सरकार ने पबजी के अलावा लिविक, वीचैट वर्क और वीचैट रीडिंग, ऐपलॉक, कैरम फ्रेंड्स जैसे मोबाइल ऐप पर पाबंदी लगाई है। लद्दाख में चीन के साथ फिर से तनाव बढ़ने के बीच भारत के इस कदम को सख्त माना जा रहा है।
इन ऐप्स पर लगाया गया बैन



जानिए क्या है पबजी?
पबजी भारत समेत कई देशों में सबसे लोकप्रिय मोबाइल गेम्स में से एक है। सिर्फ भारत में इस ऐप के 175 मिलियन डाउनलोड हो चुके हैं।
पबजी को दक्षिण कोरियाई वीडियो गेम कंपनी ब्लूहोल ने डेवलप किया है। हालांकि, चीनी मल्टीनेशनल कंपनी टेन्सेंट की इसमें हिस्सेदारी है।
पबजी इससे पहले भी निशाने पर रहा है। कई बच्चों में इसकी लत से उनके माता-पिता परेशान हैं। कुछ राज्यों ने तो इसे अस्थायी तौर पर बैन भी किया था।
पबजी ने इसके बाद आश्वस्त किया था कि पैरेंट्स, एजुकेटर्स और सरकारी संगठनों से राय लेकर सुरक्षित इकोसिस्टम बनाएगा।
पहले बैन किए जा चुके हैं 106 ऐप्स
इससे पहले केंद्र अब तक 106 चीनी ऐप्स पर बैन लग चुका है। एक महीना पहले 47 ऐप्स पर बैन लगाया गया था। इससे पहले सरकार ने टिक टॉक, यूसी ब्राउजर, हेलो और शेयर इट जैसे 59 ऐप्स को बैन किया था। सरकार ने कहा कि इन चाइनीज ऐप्स के सर्वर भारत से बाहर मौजूद हैं। इनके जरिए यूजर्स का डेटा चुराया जा रहा था। इनसे देश की सुरक्षा और एकता को भी खतरा था। इसी वजह से इन्हें बैन करने का फैसला लिया गया।
हमारी जिंदगी में इन कंपनियों के जरिए भी घुसपैठ कर चुका है चीन
चीन में स्पष्ट नियम है कि चीन की हर निजी कंपनियों को हर तरह का डेटा सरकार को देना पड़ता है। यही नहीं, अगर चीन के बाहर की किसी कंपनी में चीनी कंपनी का निवेश है तो उस कंपनी का डेटा भी चीनी कंपनी के जरिए चीनी सरकार को देना ही पड़ता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि चीनी निवेश से चलने वाली कंपनियां भी भारत में यूजर्स की निजता व अन्य पहलुओं के लिहाज से खतरनाक हो सकती है।
इन 19 कंपनियों में चीनी निवेश
बिगबास्केट: यह भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन ग्रॉसरी स्टोर चेन बन चुकी है।
बायजूस: ऑनलाइन एजुकेशन देने वाला सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है।
ड्रीम-11: भारत में हाल ही में लोकप्रिय हुआ ऑनलाइन गेमिंग ऐप।
डेल्हीवरी: ई-कॉमर्स में सामानों की डिलीवरी करने वाली कंपनी।
हाइक: ऑनलाइन मैसेंजिंग ऐप। हालांकि बाजार हिस्सेदारी बहुत ज्यादा नहीं है।
फ्लिपकार्ट: देश के कुल ई-कॉमर्स में आधे से अधिक हिस्सेदारी इसी की है।
मेकमाईट्रिप: देश का सबसे बड़ा ट्रैवल पोर्टल बन चुका है।
ओला: देश के ऑनलाइन कैब बिजनेस में आधे से अधिक हिस्सेदारी इसी की है।
ओयो: बजट होटल संगठित क्षेत्र में आधे से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
पेटीएम मॉल: ई-कॉमर्स में जगह बनाने की कोशिश कर रही है।
पेटीएम: भारत में ऑनलाइन भुगतान में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इसी की है।
पॉलिसी बाजार: ऑनलाइन बीमा पॉलिसी बेचने वाली एक ई-कॉमर्स।
क्विकर: सेकंड हैंड सामान बेचने और खरीदने का लोकप्रिय प्लेटफॉर्म है।
रिविगो: लॉजिस्टिक कंपनी है।
स्नैपडील: बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी।
स्विगी: ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी।
उड़ान: बिजनेस ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म।
जोमैटो: देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनी।